त्रिपिटक ग्रंथ या त्रिपिटक क्या है?

त्रिपिटक ग्रंथ या त्रिपिटक क्या है?

त्रिपिटक ग्रंथ
त्रिपिटक ग्रंथ 

इस लेख में  त्रिपिटक ग्रंथ  या त्रिपिटक के बारे में विस्तार से बताया गया है कि त्रिपिटक या  त्रिपिटक  क्या है? तथागत बुद्ध के उपदेश, दर्शन, जीवन चर्या, संस्कार, उत्सव आदि का बौद्ध साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। तथागत बुद्ध का संपूर्ण जीवन ही प्रेरणा बनी हुई है, उन सभी बातों को भिक्षुओं ने अनंत प्रयास से कहा। बुद्ध वचन अभिलेख 'त्रिपिटक या टिपिटक' के रूप में प्रस्तुत किया गया। 'त्रिपिटक' शब्द का उदय भी बुद्ध से ही हुआ है, जिसमें 'त्रिपिटक' शब्द का उदय भी शामिल है। तथागत की सम्यक सम्बोधि ही पालि साहित्य का आधार है। बौद्ध साहित्य ही दुनिया का एकमात्र ऐसा साहित्य है जो मानवता, उपयोगिता, ऊर्जा, दर्शन, जिज्ञासा और विज्ञान पर आधारित है।  

त्रिपिटक ग्रंथ का महिमामंडन :

त्रिपिटक ग्रंथ या टिपिटक   भगवान बुद्ध द्वारा उपदिष्ट मानव के लिए सद्धर्म है। जिसे तीनो में बाँट दिया गया है।   

1. सुत्तपिटक, 2. विनपिटक, 3. अभिधम्मपिटक।

1. सुत्तपिटक -   सुत्तपिटक निम्नलिखित 5 संगीत विभक्त हैं:

1. दीघनिकाय (34 सुत्त)

2. मज्झिमनिकाय (152  सुत्त) 

3. संयुत्तनिकाय (7762 सुत्त)  

4. अंगुत्तरनिकाय (169 वग्ग = 2308 सुत्त) और 

5. खड्डकनिकाय (15 ग्रंथी)। 

कुड्डकनिकाय   - कुड्डकनिकाय  को आगे फिर 15 ग्रंथों में विभक्त किया गया है - 

1. कुड्डकपाठ 

2. धम्मपद, 

3. उदान, 

4. इतिवुत्तक, 

5. सुत्तनिपात

6. विमानवथु

7. पेटवथु

8. थेरगाथा

9. थेरीगाथा 

10. जातिका जनित 

11. निदेस

12. पैटिसम्मीदमग्ग 

13. अपदान 

14. बुद्धवंश 

15. चरियापिटक। 

2. विनयपिटक   को आगे और पांच ग्रंथों में विभक्त किया गया है - 

1. महावग्ग 

2. चुल्लवग्ग

3. सुत्त्निभंग

4. पारजिका व पचित्तियादि

5. परिवार (9 परिच्छेद)।  

3. अभिधम्मपिटक -   अभिधम्मपिटक को 7 ग्रंथों में विभक्त किया गया है - 

1. धम्मसंगीत 

2. विभंग

3. धातुकथा

4. पग्गल

5. कथावथू

6. यमक

7.पठान।

(प्रथम धम्मसंगति के समय टिपिटक का संगायन हुआ। जिसमें रचनाक्रम इस प्रकार है- 

1. धम्म आनंद द्वारा  2. विनय  उपलि द्वारा 3. अभिधम्म महाकश्यप द्वारा। 

संपूर्ण टिपिटक में 84 हज़ार सुत्त है, जो भगवान द्वारा उपदेश के रूप में कहे गए हैं। बुद्ध ने अपने वचनों के माध्यम से मानव कल्याण के लिए भगवान का  उपदेश दिया  है।  टिपिटक में नैतिक आचरण से लेकर ध्यान तक का वर्णन बहुत ही स्पष्ट रूप से किया गया है।  

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