Bodhisattva: बोधिसत्व मंजुश्री
Bodhisattva: बोधिसत्व मंजुश्री
बोधिसत्व मंजुश्री |
इस लेख में हम बोधिसत्त्व या Bodhisattva किसे कहते हैं, और उन से जुडी जानकारी साझा करेंगे। बोधिसत्त्व, बुद्ध बनने से पहले की अवस्था है। कोई व्यक्ति अपने अनेक जन्मो में कठोर परिश्रम से पुण्य और ज्ञान का इतना संचय कर चुका है, कि आगे चलकर उसका बुद्ध बनना निश्चित है। बोधिसत्व स्वयं को परिशुद्ध (Purify) करने की एक प्रक्रिया है। अपने राग द्वेष क्षीण करते जाने की प्रक्रिया है। राग द्वेष अर्हत मार्ग पर चलने वाला भी क्षीण करता है। पर वह उपलब्ध मार्ग पर चलकर करता है। बोधिसत्व जो मार्ग लुप्त हो गया है, उस मार्ग को खोजने की पात्रता हांसिल करने के लिए करता है। बोधिसत्व के लिए काम दोहरा हो जाता है। पहले मार्ग खोजो, फिर उस मार्ग पर चल कर मुक्त अवस्था को स्वयं साक्षात्कार करना।
बोधिसत्व मंजुश्री - गंगा - जमुना
यह बोधिसत्व मंजुश्री की मूर्ति हैं। इनका वाहन "नीला-शेर" है। "शेर" अभय का प्रतीक है। नीला रंग शान्ति का प्रतीक है। "नीला-शेर" शान्तियुक्त अभय का प्रतीक है। बोधिसत्व मंजुश्री को अभय-ज्ञान-शान्ति का प्रतीक समझा जाता हैं।
इनके दांई तरफ माँ गंगा देवी है। इनका वाहन "मगरमच्छ" है। यह पानी में सर्वाधिक शक्तिशाली व तीव्र गति से दौड़ने वाला जलचर है। यह पानी और जमीन दोनो पर विचरण कर सकता है।
इनके बाईं ओर माँ यमुना देवी है। इनका वाहन "कछुआ" है। इसकी पीठ सुदृड़ कवच से सुरक्षित रहती है। माँ गंगा और मां जमुना बोधिसत्व मंजुश्री से जुड़ी हुई देवियां हैं।
इन्हीं के नाम पर गंगा नदी व जमुना नदी का नामकरण हुआ है। इनका नाम भी "नदियों" से जोड़ा गया है। इनके दोनो वाहनों को "जल" से सम्बंधित रखा है। जल "शीतलता" का प्रतीक है। शीतलता "शान्ति" का प्रतीक है। जहां शान्ति है, वहीं "ज्ञान" है। बोधिसत्व मंजुश्री ज्ञान और शान्ति का प्रतीक है।
इन्हें आज वैदिक संस्कृति से जुड़ा हुआ समझा जा रहा है। देवी-देवता किसी संस्कृति विशेष से नहीं, ज्ञान की शक्ति से जुड़े होते हैं। "ज्ञान" तो तटस्थ है। "बुद्ध" तटस्थ हैं। "बोधिसत्व" तटस्थ हैं।
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